🚩 काली माता को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए? एक आसन पर बैठकर प्रतिदिन मां काली के किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें। काली गायत्री मंत्र या मां के बीज मंत्रों का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है। जाप के बाद प्रसाद के रूप में मां काली को भोग अवश्य अर्पण करें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। यदि आप विशेष उपासना करना चाहते हैं तो सवा लाख, ढाई लाख, पांच लाख मंत्र का जप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।
शनि का संचालन करती है माता काली, जाने पूजा विधि–
वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय का देवता माना जाता है। वहीं न्याय के विधान के तहत कर्म के आधार पर शनि द्वारा दिए जाने वाले दंड के फलस्वरूप लोगों में शनिदेव का भय बना रहता है। यूं तो आपने शनिदेव को प्रसन्न करने के कई उपायों के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनि का आशीर्वाद पाने के लिए माता काली का आशीर्वाद भी होना बहुत जरुरी है।
दरअसल आज शनिवार है और शनि को संचालित करने वाली देवी है माता काली, ऐसे में माता काली ही लोगों को शनि के प्रकोप से बचा सकती है।
शक्ति की प्रतिमूर्ति है मां काली, दुष्टों का संहार करने वाली मां काली हिंदू धर्म में शक्ति स्वरूपा मां काली की उपासना का अलग ही महत्व है। तो आइए जानते हैं मां काली के विषय में कुछ विशेष बातें साथ ही उनकी उपासना के नियम…
काली की उपासना के महत्व–
काली की उपासना के महत्व : शक्ति सम्प्रदाय की प्रमुख देवी है मां काली, यह कुल दस महाविद्याओं के स्वरूपों में सबसे ज्यादा पूजनीय है। शक्ति का महानतम स्वरुप महाविद्याओं का होता है। काली की पूजा-उपासना से भय खत्म होता है। इनकी अर्चना से रोग मुक्त होते हैं। राहु और केतु की शांति के लिए मां काली की उपासना अचूक है। मां अपने भक्तों की रक्षा करके उनके शत्रुओं का नाश करती है। इनकी पूजा से तंत्र-मंत्र का असर खत्म हो जाता है। इसके साथ ही शनि को संचालित करने वाली देवी होने के कारण माता काली शनि के प्रकोप पर भी लगाम लगाती है।
काली की पूजा के नियम–
काली की पूजा के नियम : दो तरीके से मां काली की पूजा की जाती है, एक सामान्य और दूसरी तंत्र पूजा यानी तांत्रिक अनुष्ठान। सामान्य पूजा कोई भी कर सकता है, पर तंत्र पूजा बिना गुरू के संरक्षण और निर्देशों के नहीं की जा सकती। काली की उपासना सही समय मध्य रात्रि का होता है। इनकी पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व है। मां काली के मंत्र जाप से ज्यादा इनका ध्यान करना उपयुक्त होता है।
मां काली की घर पर पूजा करने से बेशक काफी जल्दी फल प्राप्त होता है लेकिन इनकी आराधना में कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। साफ-सफाई और शुद्धता के अलावा विशेष मुहूर्तों में मां की आराधना करने का श्रेष्ठ समय मध्य रात्रि या अमावस्या का होता है।
दुश्मनों से छुटकारा पाने के लिए करें काली की उपासना–
दुश्मनों से छुटकारा पाने के लिए करें काली की उपासना : मां काली की उपासना शत्रु और विरोधी को शांत करने के लिए करनी चाहिए लेकिन किसी के मृत्यु के लिए नहीं।
आप विरोधी या किसी शत्रु से परेशान है तो उस समस्या से बचने के यह उपाय है–
आपके शत्रु अगर आपको परेशान करते हो तो आप लाल कपड़े पहनकर लाल आसन पर बैठें मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं। मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग चढ़ाए। इसके बाद “ऊँ क्रीं कालिकायै नमः” का 11 माला जाप करके, शत्रु और मुकदमे से मुक्ति की प्रार्थना करें। मंत्र जाप के बाद 15 मिनट तक पानी नहीं छुएं। यह अर्चना लगातार 27 रातों तक करें। ऐसी मान्यता है कि इन उपायों को करके आप मां काली का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त आप प्रात: काल भी मां की पूजा कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर आप प्रतिदिन नियमपूर्वक मां काली की पूजा कर रहे हैं तो हो सकता है आपको कुछ समय बाद किसी पराशक्ति का अनुभव हो जिससे घबराए नहीं, यह केवल एक तरह की शक्ति है जो मां की पूजा करने के कारण आपकी रक्षा के लिए उत्पन्न हुई है।
माता काली की पूजा विधि–
प्रश्न– काली माता को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब– “एक आसन पर बैठकर प्रतिदिन मां काली के किसी भी मंत्र का 108 बार जाप करें। काली गायत्री मंत्र या मां के बीज मंत्रों का जाप करना बेहद फलदायी माना जाता है। जाप के बाद प्रसाद के रूप में मां काली को भोग अवश्य अर्पण करें। अपनी इच्छा पूरी होने तक इस प्रयोग को जारी रखें। यदि आप विशेष उपासना करना चाहते हैं तो सवा लाख, ढाई लाख, पांच लाख मंत्र का जप अपनी सुविधा के अनुसार कर सकते हैं।”
• घर में मां की पूजा करना बेहद आसान है। इसके लिए आप अपने घर के मंदिर में मां काली की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इस पर तिलक लगाएं और पुष्प आदि अर्पित करें। मां काली की पूजा में पुष्प लाल रंग का और कपड़े काले रंग के होने चाहिए।
• सामान्य जातक मां को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष मंत्रों का भी प्रयोग कर सकते हैं। यह मंत्र शास्त्रों में वर्णित हैं और इन्हें काफी असरदार माना जाता है। परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मंत्रोच्चारण शुद्ध होना चाहिए और कुछ मंत्रों को विशेष संख्या में ही जपना चाहिए। जैसे कि “ह्रीं” और “क्रीं” मंत्र का प्रयोग फलकारी माना गया है।
• ये दोनों एकाक्षर मंत्र है। इन्हें विशेष रूप से दक्षिण काली का मंत्र कहा जाता है। ज्ञान और सिद्धी प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का विशेष महत्व है। इसके अलावा घर पर प्रतिदिन “क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा” मंत्र का 108 बार जाप करने से सभी दुःखों का निवारण करके घन-धान्य की वृद्धि होती है। इसके जप से पारिवारिक शांति भी बनी रहती है।
• इसके अलावा द्विअक्षर मंत्र “क्रीं क्रीं” और त्रिअक्षरी मंत्र ‘क्रीं क्रीं क्रीं’ काली की साधनाओं और उनके प्रचंड रूपों की आराधनाओं के विशिष्ट मंत्र है। द्विअक्षर और त्रिअक्षरी मंत्र का प्रयोग तांत्रिक साधना मंत्र के पहले और बाद में किया जा सकता है।
• दुर्गासप्तशती में वर्णित “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:” मंत्र का वर्णन है जो मां के नौ स्वरूपों को समर्पित है। नवरात्रि के विशेष समय पर आप इस मंत्र का जाप घर पर कर सकते हैं। इससे ग्रहों से जुड़ी समस्याएं समाप्त होती है।
• यह मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं स्वाहा:” मां काली को समर्पित एक बेहद शक्तिशाली मंत्र है जिसका जाप नवरात्रों के विशेष मौके पर करना चाहिए। मां काली को समर्पित कई अन्य मंत्र भी हैं लेकिन इनका प्रयोग अधिकांश तांत्रिक क्रियाओं के लिए ही होता है।
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